...

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करना कुछ और है
उलझनों का शोर थमता नजर नहीं आ रहा था
हमको कुछ और रास्ता नजर नहीं आ रहा था ।
इस उलझन को सुलझाना चाहते थे
अन्तर्मन के शोर को मिटाना चाहते थे।
इक दिन बैठे बेठे यूं ही विचार आया
उसी वक्त हमने कृष्णा का दर्शन पाया।
हम तो अपने द्वन्दों का हल चाहते थे
सुकून जो बीते वो पल चाहते थे ।
हमने की प्रार्थना, पुछा हे मुरारी
हमको ही सताती है क्यों परेशानी सारी।
कृष्णा हमसे कटु सत्य बोले
जो खुद से छुपा रहे थे वो भेद खोले ।
तुमको सच चाहिए अपनी परेशानी का हल
जैसा मै चाहता हूं अब से वैसा करना सुरु कर।
हमने भी कह दिया करने का जरूर करेंगे प्रयास
हमको तो अब आना है आपके पास ।
सुनकर हमारी बातें मुस्कराए गिरधारी
प्रयास करने का कीमत चुकेगी भारी।
हम सब कुछ करेंगे कान्हा जो आप चाहेंगे
जो भी हो परिणाम, कदम हम आगे ही बढ़ाएंगे ।
अब सब कुछ आप पर हम छोड़ रहे हैं
अब आप जिम्मेदारी लिजिए ,
हम आत्मसमपर्ण कर रहे हैं।
कृष्णा हमारा हाथ थाम लेना
मुश्किल हो कितनी भी कभी भटकने ना देना।
अब गिरिधर हमारे थाम लो जिन्दगी की डोर
अब हम जो चाहते हैं वो नहीं करेंगे ,
जो आपकी इच्छा , करेंगे अब हम कुछ और।।