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" आहट दिल की "

माता पिता का साया जब सिर पर होता है
हर इंसान अपनी दुनिया का राजा होता है
सोचता नहीं वो ऐसा कि एक दिन यूँ होगा
इनके बिना भी हमें दुनिया में जीना होगा

ना कोई अंदेशा ना कोई ख़बर दिल को हुई
ना कोई आहट दिल की मेरे दिल को हुई
कैसे चुपचाप जीवन के सबसे बड़े रिश्ते
ज़िंदगी वीरान कर मेरे हाथों से फ़िसल गए

जान का नुक़सान, अपनों का चले जाना
इस दर्द को बयां नहीं किया जा सकता
कोई कैसे बताये कि अपनों के बिना
दुनिया में हर लम्हा कैसा महसूस होता है

आहट दिल की तो हर पल ये कहती है कि
कुछ नहीं हुआ, यहीं हैं वो हमारे आस पास
मग़र सच ये है कि जाने वालों की राह मत देखो
वापस नहीं आते जो चले जाते हैं ख़ुदा के पास

हर लम्हा घुटन का खुली हवा में लगता है
जैसे साँस नहीं आ रही, ऐसा लगता है
दुनिया में सब ख़त्म ख़ाक हो जाता है
शादी की रौनक भी शमशान का मेला लगता है

अपने आशीर्वाद, प्यार भरा हाथ,
होंठों की हँसी, त्योहारों की जगमग,
छुअन, दिलासा देती आवाज़, बोलती आँखें
जाने वाला अपने साथ सब ले जाता है

माँ के जाते ही सारी हँसी मुस्कुराहट ख़त्म
पहला झटका झेला नहीं जाता, सहन नहीं होता
पिता के जाते ही मायके में सारे हक़ ख़त्म
दूसरे झटके पर दुनिया बेकार, यकीं नहीं होता

कैसे बताएँ कि इन दो झटकों के बीच में
सब झेलने के बाद बेटियों पर क्या बीत जाती है
दो पाटों के बीच में पिस कर रह जाती हैं
वक़्त की करवटें सारी खुशियाँ लील जाती है

जीने को तो यूँ जी ही रहे हैं, चल भी रहे हैं
मग़र दिल के किसी कोने में उदासी बस गयी है
आजीवन बनी रहेगी, मौसम आते जाते रहेंगे
दिल की ख़ुशी अब ना आयेगी, दग़ा दे गयी है

क़ाश कोई संदेश, जाने वालों का कहीं से मिल जाता
कोई हरकारा उनकी कुशल मंगल बता जाता
साया उठाने से पहले कोई आहट सी क्यों नहीं देता
खुशियों को ग्रहण लगेगा, कोई बता क्यों नहीं जाता

© सुधा सिंह 💐💐