...

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तकदीर की उड़ान
ना जाने कब तक़दीर की उड़ान पंख ,
फैलाए हमारा इंतजार ही कर रही हो।

क्या पता तक़दीर हमें हमारी मंजिल ,
पर पहुँचाने के लिए साथ दे रही हो।

उपर वाले ने हमारी तक़दीर में क्या ,
लिखा है वो तो वह उपर वाला ही जाने।

पर अपनी तक़दीर को बदलने का हुनर ,
भी हम इंसानों को ही बख्शा है उस खुदा ने।

खूब मेहनत करके मंजिल अपनी को पा लेंगे ,
तक़दीर की उडान को हम अब अपनी ना रुकने देंगे।