...

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नए समय की द्रोपदी......❤️
आंखो में आंसू भर कर भी
हाथो में शस्त्र उठाएगी
ये नए समय की द्रोपदी है
ना चुप चाप अपमान सह जाएगी

जलती हुई अंगारों सी
धार तलवारों की बन जायेगी
कोई दुर्योधन ना हाथ लगाएगा अब
द्रोपदी खुद ही शस्त्र उठाएगी

कब तक आयेंगे केशव
द्रोपदी की लाज बचाने को
कब तक आयेंगे माधव
भीषण विध्वंस बचाने को

कब तक बिन मुरली के धुन को यमुना जी तरसेंगी
कब तक आखिर वृंदावन में आंखो से आंसू बरसेंगी

कोई दुर्योधन इस बार जो किसी द्रोपदी का चिर उतरेगा
कोई गोविंद ना आयेंगे द्रोपदी के रूप में वो महाकाली से हारेगा

ये नए समय की द्रोपदी है
साड़ी खींचने वालो के लिए हाथो मे कफ़न उधार होगा
अब स्वयं द्रोपदी के हाथो में तलवार होगा