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एक सवाल मेरे मन का
मेरे मन को आज बहुत से सवाल है
जिनका जवाब खुद मुझे ही नहीं पता
हमारे जन्म लेते ही है हमे झूठे दिलासे दिए जाते है
हमारी उम्र थोड़ी नासमझी वाली हुई तो
सबने बताया कि झूठ नही बोलना चाहिए
पर ये कभी नहीं बताया कि सिर्फ अपनो से झूठ नहीं
गैरो से बेशक झूठ बोल सकते हो
उससे आगे हमने कुछ जानना चाहा तो
सबने कहा बेटा भगवान पर भरोसा रखो इंसान पर नहीं
पर होता क्या है हम इंसान पर तो भरोसा कर लेते
पर भगवान पर भरोसा नहीं करते है
इन सबसे आगे जब हम दुनियादारी जानना चाहा तो
सबने कहा की पैसा सब कुछ नहीं होता
पर ये बताना भूल गए की पैसा से क्या नही हो सकता
उससे आगे थोड़ा जब हम रिश्तों को समझने की चाह हुई
तो देखा की सब जन्म जन्म का नाता रखते है
सब कहते है भगवान ने जोड़ी बनाई है
पर अगर भगवान ने जोड़ी बनाई है
तो फिर इसे पैसे के साथ क्यों तौला जाता है
फिर जब हम इन सब से परे हो जाते है
तो कहते है जिंदगी एक बार ही मिलती है
इसे खुशी से जियो पर पर खुशी से जीने देंगे या नहीं
ये बिल्कुल नहीं बताते है
फिर जब आखिरी वक्त आता है
और देखते है अपनी मृत्यु को सामने तो
हमे समझ आता है की जन्म तो एक जिंदगी के सफर
की शुरुआत है उसकी मंजिल तो सिर्फ मृत्यु ही है
जिंदगी झूठ से भरी है और मृत्यु वो सत्य है
जिससे जानता हर कोई है पर मानता नहीं
जो इंसान कभी राम का नाम ना लिया
और मृत्यु की शेया पर राम राम करता है
पैसे से हम सब खरीद सकते है
पर मृत्यु को नहीं खरीद सकते है
पैसे से मृत्यु के समय को टाला जा सकता है
पर मृत्यु को नही है
जो जन्मों जन्मों का वादा करते है
साथ जीने मरने की कसमें खाते है
वो ही आपकी मृत्यु के कुछ दिन बाद ही
वो ये कसमें वादे किसी और से करेंगे
किसी के चले जाने से ये जिंदगी कभी अधूरी नहीं रहती
और ना ही उसका कोई हिस्सा रहता है
जिंदगी तो एक प्यारा सा झूठ है और मृत्यु एक कड़वा सत्य


© Nishu