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प्यार की पहचान कैसे हो? ❤🕉✨
एक माँ अपने बच्चों को 9 महीने कितने दर्द सहकर रखती हैं,
जन्म के समय तो मानो जैसे बच्चों के लिए खुद मरती हैं,
पालना करने में सब कुर्बान जाती हैं,
फिर भी बच्चे रूठे, तकलीफ दे या छोर जाए तो उफ्फ तलक न आती हैं,
बल्कि जाते हुए भी सच्चे दिल से उसे खुश रहने की दुआ दे जाती हैं,
कभी सोचा हैं क्यों???????
क्योंकि माँ प्रेम करती नहीं हैं..........
माँ प्रेम ही हैं🌍
जो सोच समझ कर किया जाए वो षडयंत्र होता हैं प्रेम नहीं ✨
अगर प्रेम हो तो वो माँ जैसी हो,
प्रेम प्राकृति हैं और प्राकृति बस देती हैं,
कोई करोड़ में एक ऐसा विरला होते हैं जो प्राकृति के दिये धन में से कण लौटा पाते हैं
वही प्रेम कहलाते हैं...
प्रेम काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार से परे हैं ,
क्योंकि प्रेम एक बच्चे के समान मासूम हैं
जिसने जान लिया वही सही मायने में बड़े हैं,
प्रेम बच्चा , माँ हैं और दोनों ही भगवान के समान हैं,
भगवान सारा ब्रह्मांड दिये हैं,
उनसे शिकायत करेंगे तो हमारा ही नुकसान हैं,
अगर दर्द, विकार, शिकायत हैं तो उसे प्रेम का नाम मत देना,
वरना पदम गुना लौट कर आएगा,
प्रेम प्राकृति परमात्मा हैं...
इसे बदनाम करने वाले कभी सुख चैन नहीं पाएगा 🕉❤✨#संतोषी