प्रेम
उस दिन सामने
प्रेम खड़ा था
अपनी बाहें फैला
स्वागत को आतुर...
मैं डरी
मुझे लगा प्रेम मुझे
जकड़ लेगा
अपने आगोश में
और फिर
मैं कभी
मुक्त नही हो पाउंगी...
मैं वहां से भागी
भागती हुई
बहुत दूर निकल आई ...
आखिर
इससे पहले भी तो
मैं थी कभी
प्रेम की गिरफ्त में ।
प्रेम खड़ा था
अपनी बाहें फैला
स्वागत को आतुर...
मैं डरी
मुझे लगा प्रेम मुझे
जकड़ लेगा
अपने आगोश में
और फिर
मैं कभी
मुक्त नही हो पाउंगी...
मैं वहां से भागी
भागती हुई
बहुत दूर निकल आई ...
आखिर
इससे पहले भी तो
मैं थी कभी
प्रेम की गिरफ्त में ।
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