...

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ख्वाहिशें
क्या कहूँ कि कितना कुछ पाना है
कुछ लम्हों से कयी सदियाँ चुराना है

जिंदगी तू चल तो सही कामयाबी की राह पर
मुझे भी तेरे पीछे पीछे आना है

वक्त भागता है मानो पर लगे हैं उसको
जरा ठहरे तो वक्त के साथ कुछ वक्त बिताना है

चंद मुशकुराहटे ही बचीं है मेरी गुल्लक में
गमों को बेच कर ढेर सारी खुशियाँ कमाना है

कुछ दायरों में ही सिमटी पड़ीं है जिंदगी
पंख मिले तो बहुत दूर उड़ जाना है

कब छटेगा ये पतझड़ अपने आंगन से
रंग बिरंगे फुलों से पूरा घर सजाना है

क्या कहूँ कि कितना कुछ पाना है
कुछ लम्हों से कयी सदियाँ चुराना है
3.12.23
© ranjana