...

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वो शख़्स
वो शख़्स मेरे मन जैसा है
मेरी मानता ही नहीं

मनाता हूं उसे मन की तरह
मगर मानता ही नहीं

जानता है मुझे अच्छी तरह
मगर पहचानता ही नहीं

समझाता रहता है वो बात
मतलब जिसका खुद जानता नहीं
© Abhinav Anand