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#भाव_अभाव
// #भाव_अभाव //

जीवन में जो पूरे करने वो है, भाव,
जो भाव रह गये अधूरे वो अभाव;
आंख थामी आशा बाकी सौभाग,
ह्रदय में गूंज रहा हौसलों का राग।

तन कोमल मगर मन मोरा मज़बूत,
ठाना ठोकनी आखिरी कील ताबूत;
चित्त ब्राह्मण ते चित मोरा राजपूत,
चल पड़े माथ मल हवनकुंड भभूत।

पर्वत नदी करे पार करते स्वयं से बात,
भूख प्यास सब भूल चलत दिन रात;
दुख पीड़ा अब नहीं कर पाते आघात,
निर्णय डिगा नहीं सकते गर्मी बरसात।

एक दिन छट जाएगी तमस भरी रात,
अवनि अंबर छा जाएगा भोर प्रकाश;
बादल बरसाएंगे छम छम नर बरसात,
तरु डाल खिलेंगे तरुण - पुष्प - पात।

जीवन के जिन पल हम होंगे संग साथ,
शीतल पवन स्पर्श स्पंदन तन देंगे थाप;
मन- सागर लहरें पंछी छेड़ेंगे मधुर राग,
जीवन के पूरे होंगे मृदुल- स्वप्निल भाव।


© Nik 🍁