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एक आवाज़ बुलाती है मुझे...
अक्सर सन्नाटे से
एक आवाज़ बुलाती है मुझे
हूँ मैं कुछ गुमसुम सी आज
कौन है जो आज बिठायेगा
बुला कर अपनी पास मुझे..!
जो वक़्त , ना है तेरा
वो वक़्त भी कहाँ है मेरा
उदासी में , मैं साथ हूँ
मेरे हिस्से का हर पल है तेरा
अक्सर सन्नाटे से एक ऐसी
आवाज़ आती है मुझे..!
ना कह पाऊँ मैं अपना हाल ए दिल
ना मैं हूँ इस जहाँ के क़ाबिल
कौन है अपना मेरा...
जो दे कर आवाज़ पीछे से
गले लगा लेगा मुझे...
अक्सर सन्नाटे से एक ऐसी
आवाज़ आती है मुझे..!
जयश्री✍️
एक आवाज़ बुलाती है मुझे
हूँ मैं कुछ गुमसुम सी आज
कौन है जो आज बिठायेगा
बुला कर अपनी पास मुझे..!
जो वक़्त , ना है तेरा
वो वक़्त भी कहाँ है मेरा
उदासी में , मैं साथ हूँ
मेरे हिस्से का हर पल है तेरा
अक्सर सन्नाटे से एक ऐसी
आवाज़ आती है मुझे..!
ना कह पाऊँ मैं अपना हाल ए दिल
ना मैं हूँ इस जहाँ के क़ाबिल
कौन है अपना मेरा...
जो दे कर आवाज़ पीछे से
गले लगा लेगा मुझे...
अक्सर सन्नाटे से एक ऐसी
आवाज़ आती है मुझे..!
जयश्री✍️
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