...

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झुमके से देखो।
कौन से धर्म कौन से भक्ति करोगे,
बिन प्रेम के किस और को जाओगे।
सब पढा लिखा धरा के धरा रह जायेगा
मंजिल ही नहीं सफ़र भी तुम्हारा
अधुरा सा‌ कहीं खोया रह जायेगा ।
आकर एक बार दिल से दिल लगा ले
धर्म यही प्रेममय संसार करके जायेगा।
सुन न जरा‌ यार मेरे इस झुमके में जो
समेटायेगा वैसी स्तंभ कहीं तुम ना पायेगा।
मेरे झुमके से देखो ज़िंदगी यूं ही गुजर जायेगा,
सारे सार ज़िंदगी के बैठे बैठे तुम समझ जायेगा।

© Sunita barnwal