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आँखों के समंदर मे उतर जाने दे
अपनी आँखों के समंदर मे उतर जाने दे तेरा मुजरिम हूँ, मुझे डूब के मर जाने दे
ए नये दोस्त मे समझंगा तुझे भी अपना पहले माजी का कोई जख्म तो भर जाने दे |
आग दुनिया की लगाई हुई बुझ जायेगी कोई आँसू मेरे दामन पे बिखर जाने दे
जख्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको सोचता हूँ के कहूँ तुझसे, मगर जाने दे ।।
© SYED KHALID QAIS
ए नये दोस्त मे समझंगा तुझे भी अपना पहले माजी का कोई जख्म तो भर जाने दे |
आग दुनिया की लगाई हुई बुझ जायेगी कोई आँसू मेरे दामन पे बिखर जाने दे
जख्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको सोचता हूँ के कहूँ तुझसे, मगर जाने दे ।।
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