...

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जीवन को संग्राम
पतझड़ को बरसात लिखूंगी ।
पागलपन को प्यार लिखूंगी ।
बहके बहके फिरते है किस्मत के मारे ।
राह किसी के तकते है , बिछुड़न के मारे।
तकलीफों के धागे हरदम रहते हैं।
आसमान में जब तक तारे रहते है ।
इन व्यवधानों को समाधान लिखूंगी
मैं
जीवन को संग्राम लिखूंगी ।

© Sarthak writings