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मेरे यार बैठे हैं....❤️❤️✍️✍️ (गजल)
दिल हम भी किसी पर हार बैठे है
एक बेवफा से करके प्यार बैठे हैं

हम कितनी मिन्नतें कर रहे राह में
मगर वो जाने को तैयार बैठे हैं

उनकी महफ़िल में हैं तमाम लोग
मेरे जिगरी यार तो दो चार बैठे हैं

न हिम्मत मना करने की न पैसा है
मेरी महफिल में मेरे यार बैठे हैं

एक दिन आसमां लायेंगे जमीं पर
कुछ लोग समझ रहे बेकार बैठे हैं

बीच में एक नफरत की नदी 'सत्या'
वो उसी नदी के उस पार बैठे हैं

बच कर रहना दुनियावी लोगों से
दोस्त के रूप में भी गद्दार बैठे हैं



© Shaayar Satya