...

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मेरे हालत में मुकम्मल सबूत है
नफरत के इस दौर में मुझसे मोहब्बत निभाएगा कौन
जिंदगी भर साथ निभाने की जहमत उठाएगा कौन

उसे याद रहे कि मैं अपना घर का एक लौता चिराग हूं
ये चिराग बुझ गया तो मां को ढांढस बढ़ाएगा कौन

मेरी तरह मोहब्बत में लूट जाना कहां तक जायज़ है
सब वफ़ा दर हो अगरतो मुझ पर सितम ढायेगा कौन

मैं उन्हें दुल्हन बनता देख सकूं ये ख्वाहिश है कि
उनकी डोली बीच मेरे अर्थी को कंधा लगाएगा कौन

मेरे हालत खुद में मुकम्मल सबूत है उनसे चाहत का
मेरे बाद उनके लिए रोज रोज अश्क बनाएगा कौन

.......balram barik.......
🥀💕🥀