...

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वो सर्दी की रात
वो सर्दी की रात भी कुछ कह रही थी,
थोड़ी ठंडी सी हवा भी बह रही थी,
कुहरा मौसम में बढ़ रहा था,
एक शख़्स था मैं जो छत पर घुम रहा था,
देखी मुझे वो अप्सरा थी कि या कोई हूर थी साहब,
जो मेरे घर के सामने रहती थी,
उनकी आँखें बहुत ही प्यारी थी,
मुस्कान होंठों पर गजब ढहाती थी,
ये वो इक तस्वीर थी मोहब्बत की,
जो हर वक्त मेरे जहन में रहती है,
जो ख्वाबों में कभी आती जाती रहती थी,
उस दिन वो मुझे हकीकत में मिली थी
अचानक आँखो से आँखे मिली और मेरा ख्वाब था या सच में,
अगले पल वो मुझसे बात कर रही थी,
मेरे दिल की धड़कन बहुत तेज हो रही थी,
लग रहा था मुझ पर फूलो की बारिश हो रही थी,
ना जाने वो कौन से साबुन से नहाती थी,
क्योकि खुशबू उसके बदन की मुझे मदहोश कर रही है,
पता नही कुछ अलग सा एहसास था,
वो हमारी पहली मुलाकात थी या बरसो से जानते थे हम एक दूजे को, कुछ समझ नही आ रहा था,
मेरी बेतुकी बातों को वो घंटो से झेल रही थी,
होठों पर थी उसके हँसी मुझे लगा कुछ तो मजेदार बात हो रही थी,
उसका यूँ शर्माना, नज़रे झुकाना, और फिर,
बेबाकी से मेरी बातो पर मुस्काना मानो,
मुझे उसका ही बनाये जा रहा था
सच कहूँ,आज भी याद आती हैं वो हसीन सर्दी की रात,
पर हाँ यारो यही थी मेरी और मेरी "खामोशी" की पहली मुलाकात की कहानी
©Rohan Mishra (alfaaz_rohu_ke)
Mr_unknown🤫

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© alfaaz_rohu_ke