...

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वो दौर
वो दौर
हर चौखट को में घूम आया
अब वह दरवाज़ा कोनसा होगा
जब सपनो के पीछे अपने होंगे
न जाने वो दौर कोनसा होगा
आंखों में आंसू की जगह
रात के स्वर्णिम सपने होगे
उन सपनों कि खुशियों में
अपने पराये मैं भूल आया
फिर वह मिरा़जी शत्रु कोनसा होगा
जब फिर माटी के पुतले बनेंगे
न जाने वो दौर कोनसा होगा
हर किसी को खुशी जीवन चाहिएं
मैं वह जीवन त्याग आया
सुखद सपने मेरे सच होंगे
फिर वह उम्मीदों का घर कोनसा होगा
जब उम्मीदों की आकांक्षाओं से इच्छाएं पूरी होंगी
न जाने वो दौर कोनसा होगा.!!!!!

🍃 विशाल 🍃
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