...

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ख़ुद से प्यार
क्यों तू खुद से प्यार नहीं कर सकती ।
क्यों तू ढूंढे किसी और को तुझ से प्यार करने को ।
क्यों तू दिखा रही है दुनिया को जो तू है ही नहीं ।
जो तुझे तेरे चेहरे के रंग से देखने की कोशिश करे ।
क्यों तू उन्हें हक दे रही है तुम्हे नीचा दिखाने का ।
क्यों तू जैसी है वैसे खुल के जी नहीं सकती ।
क्यों तू अपनी मर्जी से अपने पसंद से कुछ कर नहीं सकती ।
चमड़े काले होने से का इंसान का दिल भी कला होता है ?
उन हैवानों का क्या जो कई रंग के चमड़े में छुप कर रहते हैं
मासूमों की जिंदगी तबाह करते हैं
उन्हें कोई क्यों कठगढ़े पे खड़ा नहीं करता ।
शरीर के रंग जिसमे हमारा कोई मर्जी नहीं होता
उसे लेकर ताना देने वालों को, हर रोज हमारा आत्म सम्मान और स्वाभिमान को चोट करने वालों को
खुदा माफ़ कैसे करता है???
तू काबिल है, यह याद रखना, हैं कुछ पल तुम्हारे हिसाब से नहीं है
पर जिंदगी तुम्हारी है तो उसुल भी तुम्हारे होंगे ।
जी भर के जीना भी हक है तुम्हारा ।
खुद से प्यार करने का भी इल्म है तुम्हारा ।

© Dibyashree