...

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स्त्री मन
यह मेरा
स्त्री मन ही
तो है
कि तुम्हारी
छोटी सी
एक कराह
पर भी मैं
चिंतित हो उठती हूं

भूल जाती हूं
तुम से हुई
हर नोक झोंक
से उपजी
सारे मनमुटाव

और ,हो जाती हूं
पूरी तरह
सेवा को समर्पित..
केवल तुम्हारी एक
ब्याहता बन कर ....।