...

15 views

तुम्हें पहचानता हूं मैं
तुम्हारे डर,जरूरत , कमिंयो को जानता हूँ मैं।
तुम्हें अच्छे से पहचानता हु मैं।

लोग तुमको बाहर से चाहते होंगे, मन मे घट रही हर बात जानता हूं मैं।

शांत सी शीतल चांदनी सी तुम, अंदर से ज्वलन्त परमाणु सी हो,
कहो कुछ भी अशोभित असहनीय सा, पर हो सहज से राज जानता हूं मैं।

मत हो विचलित किसी भी हार से , जीत का हार तुम पर ही सुशोभित होगा ये जानता हूं मैं।

निर्णय लिया तुमने निज धर्म निभाने का,
अपने स्वाभिमान को स्वयं बचाने का,
हो कितनी भी विकट घड़ी , समय देगा साथ तेरा ये जानता हूं मैं।

तुझे अच्छे से पहचानता हूँ मैं।

मन में प्रेम, पीर सब है,
मान मन से, जीता कब है।
हाथ तेरे समय लगे तो,
कर वही जो कर्मसंगत है।

दिखती होगी तू नारी सबको,
है योद्धा ये जानता हूँ मैं।
तुझे अच्छे से पहचानता हु मैं।।
© SandeshAnkita