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बेटी का कन्यादान

चाहे कर लो तीर्थ हजार, चाहे गंगासागर स्नान,
सब दानों से बढ़कर जग में, बेटी का कन्यादान।

बेटा भाग्य से जन्म लेते, बेटी सौभाग्य से आती,
अंजान कुलों को एक कर, अपना धर्म निभाती।
बेटी भाव की भूखी होती, करुणा इसकी पहचान,
सब दानों से बढ़कर जग में, बेटी का कन्यादान।

जिस क्षण बेटी का जन्म हो, लक्ष्मी घर में आती,
जिससे चले सृष्टि सारी, ये सृष्टिकर्ता कहलाती।
वैदेही को दान करके, हुआ जनक को अभिमान,
सब दानों से बढ़कर जग में, बेटी का कन्यादान।

चाहे कर लो तीर्थ हजार, चाहे गंगासागर स्नान,
सब दानों से बढ़कर जग में, बेटी का कन्यादान।


© 🙏🌹 मधुकर 🌹🙏