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नारी
बनी शक्ति ब्रह्मांड की, करती सब पर राज।
जीवन देती है सदा, हर प्राणी को आज।।
प्रेम, दया, करुणा सदा, नारी के श्रृंगार।
धैर्य,क्षमा और विनम्रता, उसके गले के हार।।
नारी इच्छाशक्ति से उन्नति करती आज।
सुख दुख में भी वह सदा, करती है सब काज।।
© देवेन्द्र कुमार सिंह
जीवन देती है सदा, हर प्राणी को आज।।
प्रेम, दया, करुणा सदा, नारी के श्रृंगार।
धैर्य,क्षमा और विनम्रता, उसके गले के हार।।
नारी इच्छाशक्ति से उन्नति करती आज।
सुख दुख में भी वह सदा, करती है सब काज।।
© देवेन्द्र कुमार सिंह
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