शीर्षक - पिया चाय।
शीर्षक - पिया चाय।
छोड़ो कलाई पियो चाय,
देखो पिया सूरज सर पर है।
क्या जाना नहीं काम पे,
या इरादा रहने का घरपर है।
करो न इतना प्यार पिया,
कहीं नज़र न लग जाए।
छोड़ भी दो कलाई अब,
कहीं कलाई न मुड जाए।
गई बेला रात की साजन,
सुनो अब उठ भी जाओ।
पियो चाय छोड़ो रजाई,
जाके फ़टाफ़ट नहाओ।
करो न बलजोरी बालम,
इतनी भी मनमानी ठीक नहीं।
जाने दो रसोई में हमको,
वक़्त हमारे पास तनिक नहीं।
हो जायेगी ठंडी चाय बालम,
पियो और तैयार हो जाओ।
करते हैं बात रात को साजन,
अभी और हमें मत सताओ।
इतना ही प्यार उमड़ रहा तो,
साजन इस प्यार को क़ायम रखना।
रात की चाँदनी में करंगे बात,
दिल का खुला अपना मन रखना।
जाने दो पिया बहुत काम पड़ा है,
आपके लिए दूसरी चाय लाते हैं।
आप इसी तरह चाहते रहे हमें,
हम भी आपसे बस यही चाहते हैं।
और हाँ आते वक़्त लेकर आना ग़ज़रा,
रात को अपने हाथों से पहनाना तुम।
देना न ध्यान वहाँ बार-बार मुझपर,
अच्छे से काम पर ध्यान लगाना तुम।
©Musickingrk
छोड़ो कलाई पियो चाय,
देखो पिया सूरज सर पर है।
क्या जाना नहीं काम पे,
या इरादा रहने का घरपर है।
करो न इतना प्यार पिया,
कहीं नज़र न लग जाए।
छोड़ भी दो कलाई अब,
कहीं कलाई न मुड जाए।
गई बेला रात की साजन,
सुनो अब उठ भी जाओ।
पियो चाय छोड़ो रजाई,
जाके फ़टाफ़ट नहाओ।
करो न बलजोरी बालम,
इतनी भी मनमानी ठीक नहीं।
जाने दो रसोई में हमको,
वक़्त हमारे पास तनिक नहीं।
हो जायेगी ठंडी चाय बालम,
पियो और तैयार हो जाओ।
करते हैं बात रात को साजन,
अभी और हमें मत सताओ।
इतना ही प्यार उमड़ रहा तो,
साजन इस प्यार को क़ायम रखना।
रात की चाँदनी में करंगे बात,
दिल का खुला अपना मन रखना।
जाने दो पिया बहुत काम पड़ा है,
आपके लिए दूसरी चाय लाते हैं।
आप इसी तरह चाहते रहे हमें,
हम भी आपसे बस यही चाहते हैं।
और हाँ आते वक़्त लेकर आना ग़ज़रा,
रात को अपने हाथों से पहनाना तुम।
देना न ध्यान वहाँ बार-बार मुझपर,
अच्छे से काम पर ध्यान लगाना तुम।
©Musickingrk
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