...

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आखिरी ख्वाहिश
चांद सी ख्वाहिश तुम
हर शाम बैठता हूं तेरे इंतज़ार में
इस चांद को ताकने।
मेरे ख्वाबों को मुकम्मल करने
तुम आना कभी।

वो सभी छोटे बड़े सपने
जो छिपे हुए है तुम्हारे अंतः मन में कहीं
कभी साथ बैठकर गढ़ेंगे तुम्हारे दामन में
बस खुली बांहे लिए मेरे इंतजार में
तुम आना कभी।

अनंत प्रेम तुम्हारे लिए
लिपटा हुआ निर्दयता के टेप में
तेरी किताबों की अलमारी में रखा है कहीं
जो ढूंढो तुम सुकून, उस अलमारी के करीब
तुम आना कभी।

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© Pushp