...

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सतत गामिनी
सतत गामिनी मंदाकिनी
अविरल बहती जा रही
कभी रौद्र रूप बन दायरे को तोड़ती
कभी बेगवती बन
साहस का परिचय देती चट्टानों से टकराती
कभी शांत खुद में सिमट
अविरल बहती हुई मंजिल तलाशती
बस अपनी ही धुन में वो बढ़ती जाती।

_______जुली