...

4 views

एक शहर में खो गया मैं

खोया हुआ

नए शहर की गलियों में, खो गया हूँ मैं, हर चेहरा है अनजान, हर आवाज़ अजनबी।

चाहता हूँ लौटना, अपने घर, अपने लोगों के पास, पर रास्ता नहीं दिखता, बस भटकता हूँ इधर-उधर।

हर पल बढ़ता है डर, हर कदम पर लगता है, कि जैसे कोई पीछा कर रहा हो, कि जैसे कोई खतरा हो।

पर फिर भी हार नहीं मानता, मुझे पता है, कि एक दिन जरूर मिल जाएगा, मेरा रास्ता, मेरा घर।

तब तक चलता रहूँगा, लड़ता रहूँगा, और हार नहीं मैं मानूंगा
© All Rights Reserved