...

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स्पष्ट हो जाता....
जब तुमको मालूम हुआ, मुझे तुमसे मोहब्बत है,
तुमने मुझसे न यह पूछा, कैसी मेरी उलफ़त है,
मुझे शिकवा नहीं कि, तुमको मुझसे इश्क नहीं,
जाते-जाते मुझसे बात न की, इतनी शिक़ायत है,
जो तुमसे बात करने का, यह कष्ट हो जाता,
तुम्हें मोहब्बत नहीं मुझसे, यह स्पष्ट हो जाता।

बस एक बार तुमने, मुझसे यह बात की होती,
जाते-जाते मुझसे, अंतिम मुलाक़ात की होती,
मुझको नहीं मालूम, किसी ने तुम्हें क्या बताया था,
जाने से पहले वो बात, तुमने मेरे साथ की होती,
तो शायद अपने रिश्ते का सच, प्रकट हो जाता,
तुम्हें मोहब्बत नहीं मुझसे, यह स्पष्ट हो जाता।

माना तुमने मुझसे कभी, इकरार नहीं किया,
पर तुमने मुझको, इंकार भी तो नहीं किया,
मैं बैठा रहा अब तक, तेरे जवाब की तलाश में,
कि तुम कह न दो, मैंने इंतजार नहीं किया,
तुम्हारे इंकार से मेरा, इंतजार नष्ट हो जाता,
तुम्हें मोहब्बत नहीं मुझसे, यह स्पष्ट हो जाता।



© Aniket Sahu