...

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देह में प्राण सी, हृदय में स्पंदन सी
देह में प्राण सी , हृदय में स्पंदन सी,
धमनियों में रक्त सी, मुख में आनंद सी,
संचरित रहो तुम संचरित रहो तुम।



कविता सी कोई , मनोहर स्वरचित हो तुम ।
वर्णित कोई कथा सी, प्राणवायु ही संचरित हो तुम।


सुमधुर स्मृति सी,मन में सुशोभित हो तुम।
मंगलकारी,स्वाभिमानी, संजीवनी सी हो तुम ।।


देह में प्राण सी, हृदय में स्पंदन सी।।।।।।



© SandeshAnkita