...

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क़र्ज़ चुकाना बाकी है
आहिस्ता चल ज़िन्दगी,
अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है,
कुछ दर्द मिटाना बाकी है,
कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है;
रफ्तार में तेरे चलने से कुछ रूठ गए,
कुछ छुट गए; रूठों को मनाना बाकी है,
रोतो को हसाना बाकी है;
कुछ हसरतें अभी अधूरी है,
कुछ काम भी और ज़रूरी है;
ख्वाइशें जो घुट गयी इस दिल में,
उनको दफनाना अभी बाकी है;
कुछ रिश्ते बनके टूट गए,
कुछ जुड़ते जुड़ते छूट गए;
उन टूटे-छूटे रिश्तों के ज़ख्मों को मिटाना बाकी है;
तू आगे चल में आता हु,
क्या छोड़ तुजे जी पाऊंगा ?
इन साँसों पर हक है जिनका,
उनको समझाना बाकी है ;
आहिस्ता चल जिंदगी,
अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है ।
© 🄷 𝓭𝓪𝓵𝓼𝓪𝓷𝓲𝔂𝓪