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कभी तो उम्मीद बनो
यूं किसी के मशाल जलाने का, इंतजार करते हो। क्यों किसी के मशाल जलाने का, इंतजार करते हो।। कभी तो हिम्मत करो, खुद मशाल उठाने की।।
यूं कब तक चलोगे, औरों के पीछे। और कब तक चलते रहोगे, औरों के पीछे यूं ही । कभी तो जलो और रोशनी बनो, औरों को राह दिखाने की ।।
यूं हमेशा औरों से, उम्मीद रखते हो। क्यों भला हमेशा औरों से, उम्मीद रखते हो। कभी तो उम्मीद बनो, उन नाउम्मीदों के, मंजिल पाने की।।
© 🄷 𝓭𝓪𝓵𝓼𝓪𝓷𝓲𝔂𝓪
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