...

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हाँ! मुझे खबर है......
मेरी हर एक अदा से वाक़िफ़ हो तुम,
तुम वाक़िफ़ हो मेरे रजा से..
हाँ मुझे खबर है...तुम भी करते हो मोहब्बत मुझे,
शायद डरते हो ज़माने की सजा से..!

तुम पढ लेते हो कोरे काग़ज़ को जब..
फिर क्या चाहते हो मेरी इन लबों से...
हाँ मुझे खबर है... तुम सुन चुके हो मेरी इन लबों को धीमी धीमी आवाज़ को , जो लेता है एक ही नाम , दिल से और बड़े ही जतन से..!

यूँ हर जगह तुम्हे तलाश ना, और ना मिलने पर मेरा यूँ घबरा जाना, तुम्हे भी अच्छा लगता है , जो रहती हूँ परेशां तुम्हारे फिक्र मे..
हाँ मुझे खबर है... तुम्हारा यूँ जान बुझ कर दूरी बनाना और मुझे अपने करीब खींचना, ये अदा है पसंद मुझे तुम्हारी मोहब्बत में..!

है ज़ुल्फे मेरी बिखरी बिखरी सी, जो चाहे तुम्हारे बाहों पर गिरना, लिपट के तेरे गले से एक बार, तेरी धड़कन से तेरा ही राज़ चुराना ...!
हाँ मुझे खबर है...तुम्हे भाता है मुझे यूँ तेरे फिक्र में तड़पता देखना.. पढलेते हो तुम मेरी झुकी नज़रों से लेकर लबों की उन सारे अनकहे लफ़्ज़ों को, और अच्छा लगता है तुम्हे भी , तेरे हाथों में
मेरा यूँ कोरा काग़ज़ थमा जाना..!

जयश्री✍✍

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