...

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जीवन अनमोल रतन है
न वैभव है, न मर्यादा है और न कोई चैन है, जितना चलेगा जीवन पथ पर उतना कठिन है,
चलते चलते सामने देखो ज्ञान का सागर है,
मन में भरा तिरस्कार है और रास्ता जटिल है।

जीवन फूलों और कांटों का छोटा सा डगरी है
दुविधायों का पहाड़ देखो सामने खड़ा है,
है हिम्मत जिसका आगे ज़रूर बढ़ता है
कोशिश से मिल जाता आगे अनमोल रतन है।

आओ बढ़ चले उस वैभव की दिशा की ओर
हो सकता है कठिन मगर योद्धा के लिए सरल है
देखो हर चांदनी के पीछे अमावस्या छिपा है
मगर अमावस्या के बाद चांदनी भी तो आता है।