...

4 views

हम शामलात हैं..
कभी हरे भरे मनोहर वन समीप,
कभी रेत मिट्टी के टीले से।
कभी उत्तल, कहीं अवतल ।।
टेढ़े-मेढे से, धूल में सने ।
कहां बदलते हमारे हालात हैं,
हम शामलात हैं, हम शामलात हैं।।

मनुज के पहले , हम साधन हैं ,
जीवन बाद भी , धरा के संग हैं।
जुड़े हुए है कई नियमों से ,
हैं बंधे , दिखते आजाद हैं।
हम शामलात हैं .. हम शामलात हैं ।।

पहले पड़े थे उजाड़ ,अचेत बिना नाम के,
ऊंचे नीचे पथरीले , बिना काम के ।।
अब बने जरूरी है, जब बदले हालात हैं ।
हम शामलात हैं...।।

कभी बटे हम , कभी छिने हम ,
लुट रहे खुलेआम हैं।
खाली जमीं हम, बेकार पड़े थे,
अब जीवंत से, नए ख्यालात हैं।
हा हम शामलात हैं..

वो मुझे साधते, नियम बदलते ,
मानव हमें सुरक्षित करते।
वे ही ये, हालात हैं गढ़ते ,
कभी बेजान थे हम, अब नई सौगात हैं।
हां हम शामलात हैं ...

हैं हम सबके , या नहीं किसी के ,
ये समझने वाली बात है।
ये ही शामलात है ,
ये ही शामलात है ।।

हम उपयोगी , तुम उपभोगी ,
नियमोचित प्रयोग की ये बात है।
ये ही शामलात है ,
ये ही शामलात है ।।

संदेश-रचित
© SandeshAnkita