...

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दिल करता हैं...
ना तेरी रज़ा मालूम ...
ना तूझे चाहने की सजा मालूम...

पर दिल करता हैं ....
तुझपे ऐतबार करके देखूं
एक बार तुझसे प्यार करके देखूं
अपने वफ़ा का अफसाना बयां करके देखूं

तेरी ख़ामोशी को ना इकरार समझूंगा और ना ही इनकार
क्या पता मेरे मुक्कदर में साथ ना हो तेरा
पर मेरी चाहते सदा नाम लेंगी तेरा....

© Preet