...

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खामोशी के साये मे रखता हूँ
लहरो पर उतरना चाहता हूँ,
पर किनारे बैठे डूबने से डरता हूँ
दिल मे है बहुत कुछ,
पर कहने से डरता हूँ,
हो न जाओ नाराज इसलिए,
खुद को खामोश रखता हूँ
पाना भी चाहता हूँ,
पर खोने से भी डरता हूँ
मोहब्बत के आगोश मे रहकर,
मोहब्बत से खुद को दूर रखता हूँ
याद मुझे भी आती है तुम्हारी
पर ये बताने से मैं डरता हूँ
ख्वाब मैंने भी देखे है,
पर सपनों के बिखर जाने से डरता हूँ,
दुख ना जाए दिल तुम्हारा,
मेरी किसी बात पर,
ये सोचकर हर बात को,
बताने से डरता हूँ
तेरे ठुकराने से नही,
तेरे अपनाने से डरता हूँ
सच तो है तुम्हारा साथ ज़न्नत सा,
पर मै क्या करूँ,मैं ज़माने से डरता हूँ
कोशिश करके मोहब्बत के
सफर मे बढ़ा रहा हूँ कदम
पर आगे बढ़ते हुए कदमों से डरता हूँ
पता न चल जाए जमाने को मेरा डर,
इसलिए खुद के चेहरे को
"खामोशी" के साये मे रखता हूँ
©Rohan Mishra (alfaaz_rohu_ke)
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© alfaaz_rohu_ke