...

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शीर्षक - तुम ही तुम हो।
शीर्षक - तुम ही तुम हो।

मेरे दिल की धड़कन,
आँखों की अंजुम हो।
मेरे कतरे-कतरे में,
बस तुम ही तुम हो।

हर पल नज़रों में तुम,
होंठो की हंसी में तुम हो।
फ़िज़ा की ख़ुशबु में तुम,
मेरी साँसों में बसी तुम हो।

दिन की रोशनी तुमसे,
रात की चाँदनी तुम हो।
बगैर तुम्हारे ढांचा हूँ,
मेरी तो ज़िंदगी तुम हो।

ख़्यालों के मंज़र में तुम,
एहसासों के अंदर तुम हो।
यादों की बस्ती तुमसे है,
मेरी तो मस्ती में तुम हो।

मेरे ज़ुबाँ के लहज़े में तुम,
मेरी हर एक नेकी में तुम हो।
तुमसे कहीं अलग नहीं मैं,
मेरी तो देखा-देखी में तुम हो।

रूह का रिश्ता तुमसे,
मेरी तो मंज़िल तुम हो।
कानों में गूँजे जो ग़ज़ल,
उन ग़ज़लों में शामिल तुम हो।

जन्मों का वास्ता तुमसे,
मेरे सुक़ून का रास्ता तुम हो।
हर बार झुकता जहाँ मैं,
मेरी वो आस्था तुम हो।

शहर की चमक-दमक,
गाँव में मिलने वाली शांति तुम हो।
बगैर तुम्हारे बेचैन रहूँ,
ये अच्छे से जानती तुम हो।

लफ़्ज़ों में भी बयाँ नहीं होता,
मेरे लिए इतनी ख़ास तुम हो।
एक पल भी छोड़ नहीं सकता,
मेरी वो अटूट विश्वास तुम हो।

मेरी ज़िंदगी तुमसे चल रही,
मेरी हर इक रचना में तुम हो।
शब्दों पर मत देना ध्यान,
भावनाओं में देखना तुम हो।

©Musickingrk