...

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नेह लिखा
सावन भर आए अंबर मे,
तब कवियों ने नेह लिखा।
सरसो जब फूले बंजर मे,
तब कवियों ने नेह लिखा।
अंखिया जब-जब कजराई,
तब काली घटा घन में छाए।
कुहुक उठी कोयल बगिया मे,
तब कवियों ने नेह लिखा।

जब अमियां बौराई यौवन मे,
तब कवियों ने नेह लिखा।
कलियां मुस्काई उपवन मे,
तब कवियों ने नेह लिखा।
पैजन छनके जब पैरन मे,
सूर और ताल बजे मन मे।
कदम जब बहके राहों में,
तब कवियों ने नेह लिखा।

पीयू-पीयू जब रटा पपीहा,
तब कवियों ने नेह लिखा।
चातक ने जब गाया विरहा,
तब कवियों ने नेह लिखा।
जब पुष्प महके गजरे मे,
भौरें पथ से वहक गए।
ताज बना सिर का सेहरा,
तब कवियों ने नेह लिखा।

मेहंदी जब सजी हाथो में,
तब कवियों ने नेह लिखा।
सरगम जब घुली सांसो में,
तब कवियों ने नेह लिखा।
सुर्ख हुए जब से रुखसार,
किरणों मे आई लाली।
चाँदनी उतर आई आंगन में,
तब कवियों ने नेह लिखा।

उठ गया जब दिल से पहरा,
तब कवियों ने नेह लिखा।
मंजर जब-जब हुआ सुनहरा,
तब कवियों ने नेह लिखा।
अंखिया जब लड़ गई चांद से,
वैरन हुई दुनिया सारी।
प्रियतम जब आए बांहो में,
तब कवियों ने नेह लिखा।

© मृत्युंजय तारकेश्वर दूबे।

© Mreetyunjay Tarakeshwar Dubey