...

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👣अंधेरा।
यह अंधेरा है
न डरो इससे
पर न उलझो
कभी इससे
यह बहला सकता है
अस्तित्व मिटे
यह उतना तो
झुलसा सकता है।।
यह अंधेरा है
हर तर्क पर
हो सकता काबिज
हर तथ्य, पंथ
करता झट खारिज
हो नष्ट सत्य
यह उतना तो
बहला सकता है।।
यह अंधेरा है
दूर यह हो ले
ग़र हाथ साथ हो
साधने को इसे
ग़र बात साथ हो
चिंगारी एक सुलगाने की
वह प्रकाश आएगा
सहला दूर इसे कर जाएगा।।
✍️✍👁राजीव जिया कुमार,
सासाराम,रोहतास,बिहार।
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© rajiv kumar