...

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पीछे बहुत कुछ छूट गया...
आगे बढ़ने की चाह में पीछे बहुत कुछ छूट गया....
हजारों को खुश करने की ख्वाहिश में अपने ही रुठ गए,
परिवार की जरूरत पूरी करते-करते सपनों से नाता तूट गया
आगे बढ़ने की चाह में पीछे बहुत कुछ छूट गया.....
जिस रास्ते जाया करते थे स्कूल और खेल के मैदान तक वो रास्ता आज भूल गए,
कल की चिंता करते-करते आज जीना भूल गए,
जो नहीं है उसका गम करते-करते जो है उसका आनंद लेना भूल गए,
लोगों को महेनत करके सफल होते देख हमने महेनत करना शुरू कर दिया, और किस्मत के भरोसे बैठेना छोड़ दिया...

-"आगे बढ़ने की चाह में पीछे बहुत कुछ छूट गया.... "



© d. k. makvana #dil_ki_dasta