...

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" बचपन "
इतना जटिल था यह समझना..
वाष्पीकरण की क्रिया.. बादलों का बनना!🌧️
और एक घर बेटी हमारी "दादी मां"🤶
चुटकी में यूं समझा देती, कि..

"बादलों पर बैठी बुड्ढी अम्मा☁️
रुई उड़ा रही है,
वही रुई बन बादल..
मेघ बरसा रहे हैं⛈️"

याद है वह बचपन जब, 💁💁‍♂️
आसमान को निहारते,
बारिश लाने की जिद पर,
बुड्ढी अम्मा को पुकारते..!🤦😊

© अनकहे अल्फाज़...

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