...

8 views

दीवारें
// #दीवारें //

ऊँची- ऊँची दीवारें खड़ी आन बान से,
सजी - धजी संस्कृति और संस्कार से;
दिन - रात अटक खड़ी सम्मान से,
दीवारें बोलें बाते ज्ञान भरी शान से।

दीवारों का अपना अद्भुत - स्वरूप,
अपने अयन की प्रकृति के अनुरूप
महल - दीवारों का वैभवशाली रसूख,
कच्चे घर की भीत नर्म - सरल प्रारुप।

दीवारें विवाह, उत्सव, तीज़ - त्योहार,
सावन - वर्षा में सज- धज करे श्रृंगार;
धूप-
आँधी- तूफ़ान से रक्षा को तत्पर तैयार,
दीवारों का अपना मृदुल- अनूठा प्यार।

तिनका- तिनका जोड़ तरु बनाया नीड़,
हरे हर ऋतु तन-मन रोम-रोम हर पीड;
पतझर परींदे उड़ गए छितरी नीड भीड़,
बिखर गयी दीवारें ढह गयी नीड़ - नींव।

दीवारों पर खड़ी मिनारें नीचे बैठे फकीर,
दीवारें सब जाने कौन गरीब और अमीर;
धन- बल समक्ष बिछ जाती बनके कंदीर,
यह भाग्य नही लिखा ग़रीब की तक़दीर।

जात पात भाषा पंथ उम्र मन दीवारें अनंत,
ज्ञान खड़ग से इन अज्ञानी दीवारों का अंत;
अंतर्मन आंगन में कुसुमित हो सुंदर बसंत,
पल पल लिखें कहानी अपनी बने एक ग्रंथ।

दीवारों पर तने खड़े छतरी - बुर्ज - मीनार,
चौखट पर उकरे सुंदर - सुमन- तोरणद्वार;
कमल - पुष्प - लता से दीवारें करें श्रृंगार,
इनके स्नेह- प्रेम का ह्रदय तल से आभार।




© Nik 🍁