...

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हाँ किस ने देखा है........
डूबती हुई कश्ती को संवरते किसने देखा है
बर्बाद किनरों को तरसते किसने देखा है
बिन बादलों के मेघों को बरसते किसने देखा है
अरे इश्क तो सिर्फ चढ़ता है, उतरते किसने देखा है।