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दूरी
दूर रहना हर वक़्त तेरा, दिल की दूरी ना बन जाए,
ज़िन्दगी की ये ख़ामोशी, कहीं मजबूरी ना बन जाए।
लाख सितम कर लो तुम, लब फ़िर भी ख़ामोश रहेंगे,
दिल तोड़कर जोड़ना, तुम्हारी फितूरी ना बन जाए।
जख़्मों पर मरहम लगाना, दोस्तों की फितरत होती है,
बेतकल्लुफ़ सी फ़ितरत तुम्हारी, दस्तूरी ना बन जाए।
दोस्तों की इस महफ़िल में, यूँ तन्हा ना रहा कर पगले,
तुझ बिन मेरी ये ज़िन्दगी, कहीं अधूरी ना बन जाए।
चार दिनों की ज़िन्दगी में, दो दिन गुज़र चुके 'मधुकर',
दोस्तों के बिना जीना कहीं, कमजोरी ना बन जाए।
© 🙏🌹 मधुकर 🌹🙏
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