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तेरे माथे को चूम लूं...
तू था जब नन्हा सा
मैं रोज तुझे
अपनी बाहों में उठाती
कंधे पर बीठा
पूरे बाजार सैर कराती
लोरी सुनाकर
अपनी गोद में सुलाती
रोने पर तेरे संग
रोन लग जाती
कितने जतन कर तुझको हंसाती
गिरने पर फिर से उठाती
तुझे अपनी उँगलियाँ पकड़ा चलाती
तुझे हर वक्त नई नई
चीज़ें सिखलाती
तुझे अच्छा बुरा बताती
तेरी एक कोशिश पर
पुरा चेहरा चूम जाती
वक्त गुजर गया
अब तू बड़ा हो गया
हमारा रिश्ता आज भी वही
मां - बच्चे का...
पर बाकी सब बदल गया
मेरा ये दिल
तुझे देखने को तरस गया
मेरे आंखों से अश्रु
बुंद बन बरस गया
बड़ी फुरसत निकाल कर
तू आया है
अब ना जाने कब आएगा
मेरे दरवाजे फ़िर से
कभी दस्तक भी दे पाएगा
आ तुझे फिर से प्यार कर लूं
ज्यादा नहीं थोड़ा ही
पर जी भर दुलार कर लूं
पहले की तरह
एक बार फिर से
तेरे माथे को चूम लूं।
© Sankranti chauhan
मैं रोज तुझे
अपनी बाहों में उठाती
कंधे पर बीठा
पूरे बाजार सैर कराती
लोरी सुनाकर
अपनी गोद में सुलाती
रोने पर तेरे संग
रोन लग जाती
कितने जतन कर तुझको हंसाती
गिरने पर फिर से उठाती
तुझे अपनी उँगलियाँ पकड़ा चलाती
तुझे हर वक्त नई नई
चीज़ें सिखलाती
तुझे अच्छा बुरा बताती
तेरी एक कोशिश पर
पुरा चेहरा चूम जाती
वक्त गुजर गया
अब तू बड़ा हो गया
हमारा रिश्ता आज भी वही
मां - बच्चे का...
पर बाकी सब बदल गया
मेरा ये दिल
तुझे देखने को तरस गया
मेरे आंखों से अश्रु
बुंद बन बरस गया
बड़ी फुरसत निकाल कर
तू आया है
अब ना जाने कब आएगा
मेरे दरवाजे फ़िर से
कभी दस्तक भी दे पाएगा
आ तुझे फिर से प्यार कर लूं
ज्यादा नहीं थोड़ा ही
पर जी भर दुलार कर लूं
पहले की तरह
एक बार फिर से
तेरे माथे को चूम लूं।
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