...

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चुप
बेहतर है चुप रहना न कहना और सहना
वक्त की तड़प बड़ी बेरहम
भटकते हैं हम और बेरहम तुम
होगी जरूर बातें खत्म
रहता है कौन संग हरदम
तकाजा वक्त का है थोड़ा चुप रह लिया जाए
जो बातें न हो तो मसला हल हो जाए
की मंजिल। की तलाश भटकते हुए हालत
न कुछ समझे ना समझाना
बस यूं हीं चले चलना
रहेगा बेहतर शायद
चुप रहकर सबकुछ शांत हो जायेगा
किसी रहबर की तलाश का खात्मा हो जायेगा
स्वयं को जानने का थोड़ा वक्त मिल जाएगा
शांत चित्त और मन प्रसन्न हो जाएगा
हैं बस चुप रहना बेहतर हर हाल में लगता है
हो अब बैराग बस मन ये कहता है