...

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ताजमहल
ऐ - ताज,
तू यादगार- ए - मोहब्बत का
दास्तान है__
जान ए जिगर,
शहंशाह ए शाहजहां है।
संग ए मरमर से तुझे,
तराशा गया।
आरजू - ए - उल्फत से तुझे,
सजाया गया।
आशिक - ए - हुस्न का,
तू एक ख्वाब है।
शबनम - ए - शहर का,
खिला ताजा गुलाब है।
वायदा - ए - तोहफा का,
तू जिंदा मिसाल है।
और तारीफ - ए - हुस्न का,
तू बे मिसाल है।
मौज - ए - जुमना में,
यह दिल - कश तराना है।
कि, हर जमाने में,
तू शान - ए - ज़माना है।
© ishra