...

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देखते ही देखते तुम क्या से क्या हो गए
शोर इतना था के उसको कुछ सुनाई ना दिया...
आंखे होते हुए भी उसको कुछ भी दिखाई ना दिया...

मुझको हैरत है के वो शिकवा करता सबको दिखाई दिया....
मेरा दर्द मगर किसी को भी अभी तक दिखाई ना दिया ...

हर एक उसकी जानिब से उंगलियां मुझ पर उठाता हुआ दिखाई दिया...
लेकिन मेरी जानिब से कोई भी वकील दिखाई ना दिया ....

सबने मुझको ही मान लिया मुजरिम देख कर आंसू उसके ....
मेरी आंखो में उतरा हुआ लहू किसी आज तलक दिखाई ना दिया ....

मैने होंठों को सी लिया फक़त ओ फक़त उसकी ही ख़ातिर...
लेकिन उसको मेरा ये अमल अब भी दिखाई ना दिया ....

मुझको हैरत है दुनिया के इस अजीब बर्ताव पर अख़्तर...
सबको बस मेरा ही क़िरदार शक के दायरे घिरा क्यों दिखाई दिया ??

© sydakhtrr