...

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संबंधों की डोर
पुर खुलूस से रिश्ते,
कराये अदा ताउम्र किश्तें।
सत्यता का भरें दम,
पलभर में करते नयन "नम"।

रहें ढूंढते बैसाखियां,
देते सौग़ात में सिसकियां।
जो चले ऊँगली थाम,
रहें न वो संग ढले जब शाम।

दें सीख बनकर अपने,
तोड़े न जाने कितने सपने।
वक्त का मांगे बस संग,
छिड़े जज़्बातों की जलतरंग।

भूल भुलैया की भांति,
छीनें मन मंदिर की"शांति"।
आ,करें मिलके कामना,
"गिल"संबंधों की डोर टूटे ना।
© Navneet Gill