...

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दूर
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई
ना मिली मंजिल फिर भी चल रहा है कोई..

जीवन की इस रेस मे सब भाग रहे है
सुख चैन को छोडकर दुःख झेल रहे है
करनी और कथनीमें सब के फरक है
फिर भी हरकोई कहता है हम अलग है..

जोडणा है तो भगवान से रिश्ता जोडो
पर अपनो से तुम ना कभी मूह मोडो
यहा हर एक ईंसान में कुछ तो भेद है
सबकुछ हासिल ना करपाया ये खेद है..

यहा सब के अलग अलग चेहरे है
हर चेहरे के पिछे छुपे राज गहरे है
दुसरे के तरक्कीसे कहा खुश है कोई
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई..
© ram gagare